tag:blogger.com,1999:blog-4994822875259141946.post7262199324633208716..comments2023-07-03T08:37:39.742-07:00Comments on विचारार्थ: स्त्री-पुरुष समानता की दिशा में एक कदमराजकिशोरhttp://www.blogger.com/profile/07591365278039443852noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-4994822875259141946.post-53020437322870097972009-08-29T12:29:43.223-07:002009-08-29T12:29:43.223-07:00क्या बेहतरीन विषय चुना है... दिल्ली के मस्तमौला फक...क्या बेहतरीन विषय चुना है... दिल्ली के मस्तमौला फकीर सरमद का अक्स जहन में उभर आया है। उसे बादशाह औरंगजेब ने इसिलए मरवा दिया था, क्योकि वह आधा कलमा पढ़ता था और न तो किसी को पूज्य मानता था न ही कपड़ों की जरूरत महसूस करता था। कहते हैं जब उससे पूछा गया कि नंगा क्यों है तो उसने कहा मालिक (परमात्मा) ने गुनाहगारों को गुनाह छिपाने के लिए ये कपड़े और दूसरे परदे दिए हैं, मेरे और परमात्मा के बीच अब कोई परदा नहीं क्योंकि मैं सारे गुनाहों से मुक्त हूं। इसलिए कपड़ों की जरूरत क्या है। बस यही बात उसकी मौत का कारण बनी। <br />स्त्रीयों के अनावृत स्तन को पापमुक्त मानने-देखने की ताकत व समझ दुनिया के कौने-कौने तक कब तक पहुंचेगी नहीं जानता, लेकिन यह तय है कि प्रकृति कभी फैशन बन कर तो कभी आंदोलन बन कर और कभी पोर्न इंडस्ट्री बन कर पुरुषवाद और महिलाओं को एकाधिकार वाली यौन दासियों में तब्दील करने वाली दीवारों में सुराख बनाती रहेगी।Deveshhttps://www.blogger.com/profile/14492129813449151519noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4994822875259141946.post-45836703952637210712008-04-11T03:10:00.000-07:002008-04-11T03:10:00.000-07:00स्त्री यौनिकता तो अभी केवल बहस का मुद्दा है वह भी ...स्त्री यौनिकता तो अभी केवल बहस का मुद्दा है वह भी बौद्धिक जमावडॉं में !समाज के कितने स्तरों तक अभी स्त्री स्वातंत्र्य ही उपहास का विषय है स्त्री यौनिकता का दूर की बात है! मैंने जब अपने ब्लॉग पर इस विषय पर लिखा था तब उसपर आई टिप्पणियों बहुत कुछ सोचने प्र विवश कर दिया था ! बाकी आपकी बतों से पूर्ण सहमति है ! इसपर आगे भी लेखन की जरूरत है !Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4994822875259141946.post-59964124310194409862008-04-10T22:32:00.000-07:002008-04-10T22:32:00.000-07:00दुनिया भर में इस समय तरह-तरह के प्रयोग चल रहे हैं।...दुनिया भर में इस समय तरह-तरह के प्रयोग चल रहे हैं। जिस देश में प्रगति का स्तर जैसा है, वहां उसी के अनुकूल प्रयोग होंगे। इनमें घालमेल करना ठीक नहीं। और, आलोचनात्मक रुख तो हर प्रयोग के प्रति बनाए रखना चाहिए। नहीं तो अच्छे प्रयोग भी कुएं में धकेल सकते हैं। गांधी जी की तरह किसी खास प्रयोग को, संकट दिखाई देने पर, वापस लेने को भी तैयार रहना चाहिए। ...राजकिशोरhttps://www.blogger.com/profile/07591365278039443852noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4994822875259141946.post-2604997492845371932008-04-10T19:39:00.000-07:002008-04-10T19:39:00.000-07:00और हाँ सिर्फ डी-सेक्सुअलाइजेशन नही होगा जब तक कि प...और हाँ सिर्फ डी-सेक्सुअलाइजेशन नही होगा जब तक कि पहले पूरी की पूरी अब तक की वयवहारों ,निहितार्थों ,मूल्यों {?},संस्कृति {अपसंस्कृति } की डीलर्निंग नही हो जाती ....और वह निश्चित ही पहल कदम है और ज़्यादा ज़रूरी भी ....सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4994822875259141946.post-87316912609481615532008-04-10T19:36:00.000-07:002008-04-10T19:36:00.000-07:00आधुनिक सभ्यता आदिवासी संस्कृति के एक समृद्ध संस्कर...आधुनिक सभ्यता आदिवासी संस्कृति के एक समृद्ध संस्करण की ओर बढ़ रही है। मेरा अपना अनुमान है कि इसके नतीजे सकारात्मक ही होने चाहिए<BR/>*****<BR/>ब्लॉग के नाम के अनुकूल आपने वाकई एक बड़े बात विचारार्थ रखी है ...<BR/>लेकिन क्या वाकई नतीजे सकारात्मक होंगे ..मुझे नही लगता .....डी-सेक्सुअलाइजेशन करना अभी तो बहुत दूर की बात लगता है ...सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4994822875259141946.post-51235940556323995902008-04-10T19:26:00.000-07:002008-04-10T19:26:00.000-07:00आधुनिक सभ्यता आदिवासी संस्कृति के एक समृद्ध संस्कर...<B>आधुनिक सभ्यता आदिवासी संस्कृति के एक समृद्ध संस्करण की ओर बढ़ रही है।</B><BR/>सुन्दर!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com